आचार्य चाणक्य ने किसी भी इंसान के लिए छात्र जीवन सबसे अहम बताया है. उनके अनुसार, शिक्षा ही सबसे बड़ा धन है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, ऐसी 7 चीजें हैं जिनको त्याग देने में ही हर एक छात्र की भलाई होती है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, छात्र जीवन में किसी भी विद्यार्थी को क्रोध से हमेशा दूरी बनानी चाहिए. क्रोध हमेशा खुद का नुकसान कराता है.
चाणक्य के अनुसार, छात्र जीवन में किसी भी तरह के लोभ में भी नहीं पड़ना चाहिए. कैसा भी लोभ छात्र को लक्ष्य से भटका देता है.
चाणक्य के अनुसार, अगर किसी छात्र का पढ़ाई से ज्यादा मन खेल-तमाशे में है तो ऐसा मन रखना भी उसके लिए नुकसानदायक है.
अगर किसी छात्र को ज्यादा सोने की आदत है तो यह अच्छा नहीं है. ज्यादा सोने की आदत उसे सफलता से दूर कर देगी.
चाणक्य के अनुसार, छात्र जीवन में श्रृंगार से भी दूर रहना चाहिए. खुद को अंदर से निखारना पहले जरूरी होता है.
अगर किसी छात्र में चापलूसी की आदत पड़ गई है तो वह कभी कामयाब नहीं हो पाता है. कभी भी किसी की चापलूसी नहीं करनी चाहिए.
छात्र जीवन में इंसान को ज्यादा भुक्कड़ स्वभाव का भी नहीं होना चाहिए. भोजन को लेकर अपने मन पर काबू रखना सीखना चाहिए.