आचार्य चाणक्य ने उन घरों का वर्णन नीति शास्त्र में किया है जहां हमेशा खुशहाली रहती है. सुख-शांति का वास होता है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, कुछ ऐसी चीजें होती हैं जिनकी वजह से ऐसे घरों में हमेशा सुख अपना वास करता है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, उसी का घर सुखी हो सकता है, जिसके बेटे और बेटियां अच्छी बुद्धी से युक्त और पत्नी मृदुभाषिणी हो.
चाणक्य के अनुसार, जिस घर में परिश्रम हो, ईमानदारी से पैदा किया हुआ धन हो, वहां भी हमेशा सुख रहता है.
चाणक्य के अनुसार, जिस घर में रहने वाले व्यक्ति के अच्छे दोस्त हों, पत्नी के प्रति प्रेम और अनुराग हो, मेहमानों का आदर-सम्मान होता हो, ऐसे घर में हमेशा खुशियां रहती हैं.
वहीं जिन घरों में नौकर-चाकर आज्ञा का पालन करते हों, हर रोज अच्छे मीठे भोजन और मधुर पेयों की व्यवस्था होती है, वहां खुशहाली हमेशा रहती है.
आचार्य के अनुसार, जिन घरों में यह सब चीजें होती हैं वहां दुखों के होने का कोई अर्थ नहीं होता है. वहां हमेशा खुशियां ही रहती हैं.
ऐसे घरों में रहने वाले लोग धरती पर ही स्वर्ग जैसा सुख भोग लेते हैं. परिवार में कभी कलह नहीं देखते हैं. माहौल सकारात्मक रहता है.
घर में खुशहाली और सकारात्मक माहौल अगर रहता है तो उसका असर अन्य चीजों पर भी पड़ता है. समाज में भी ऐसे घर का सम्मान होता है.