आचार्य चाणक्य ने ऐसे लोगों का वर्णन किया है, जो मनुष्य होते हुए भी चार पैरों वाले पशु समान हैं.
चाणक्य कहते हैं कि ऐसे लोगों पर उनके ही कर्मों की वजह से हमेशा संकट के बादल मंडराते रहते हैं.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मूर्ख भी बेशक किसी भी सज्जन और बुद्धिमान की तरह दो पैर वाला होता है.
परंतु मूर्ख होने की वजह से वह चार पैर वाले पशु से भी निकृष्ट और गया गुजरा होता है.
चाणक्य के अनुसार, मूर्ख आदमी हमेशा कष्ट पहुंचाने वाला काम ही करता है.
मूर्ख आदमी सिर्फ खुद को ही नहीं बल्कि मूर्खता की वजह से परिवार को भी संकट में डाल देता है.
नौकरी-कारोबार करना ऐसे लोगों के लिए आसान नहीं होता है, हर जगह इन्हें परेशानी होती है.
ऐसे लोगों के मूर्ख होने की वजह से इनकी जेब में धन कभी नहीं टिक पाता है.
इसलिए ही चाणक्य कहते हैं कि मूर्ख व्यक्ति की कभी संगत में भी नहीं रहना चाहिए.