आचार्य चाणक्य ने ऐसी एक चीज का जिक्र किया है, जो आपके दुश्मन को घुटनों तक लाने में सक्षम है.
चाणक्य के अनुसार, किसी भी शत्रु को हराने के लिए लोभ एक अच्छा उपाय है.
चाणक्य के अनुसार, लोभ देकर शत्रु को भी उसके लक्ष्य से भटकाया जा सकता है.
लोभ-लालच ऐसी चीज है, जिसकी चपेट में आकर शत्रु घुटने टेकने के लिए मजबूर हो जाता है.
शत्रु को किसी भी प्रकार के लोभ में डालकर उसे अपने लक्ष्य से भ्रष्ट किया जा सकता है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, लोभ के मायाजाल में फंसा हुआ हुआ दुश्मन कमजोर हो जाता है.
वहीं चाणक्य कहते हैं कि शत्रु मित्र के समान तभी दिखाई देता है, जब लोभ उसकी बुद्धि भ्रष्ट कर देता है.
चाणक्य के अनुसार, लोभ में पड़ा कोई भी इंसान अपने शत्रु को भी हित करने वाला मित्र प्रतीत होने लगता है.
चाणक्य के अनुसार, कभी भी लोभ-लालच में नहीं फंसकर हमेशा ठीक मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए.