4 OCT 2024
By- Aajtak.in
आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में ऐसे धन का वर्णन किया है जो इंसान की समाज में इज्जत छीन लेता है.
ऐसा धन जिस भी इंसान के पास होता है, वह कभी खुशहाल तो नहीं रह पाता है. हमेशा मन में एक भय रहता है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यह धन आपको धनवान जरूर बना सकता है लेकिन संतुष्टि कभी नहीं दे सकता है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि वह धन किसी काम का नहीं होता है जिसके लिए इंसान को सदाचार त्याग करना पड़े.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, सदाचार त्याग कर धन अर्जित करने वाला हमेशा दुखी रहता है. खुशियां दूर हो जाती हैं.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ऐसे लोगों की समाज में इज्जत नहीं रहती है. सम्मान न होने से दुख पहुंचता है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अगर दुश्मन की चापलूसी कर कोई व्यक्ति पैसा कमा रहा है तो वह हमेशा परेशान रहता है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, इस तरह से कमाया धन आदमी को अंदर से आत्मग्लानि और भय हर समय महसूस कराता है.
आदमी को डर रहता है कि अगर गलती से भेद खुला तो पूरे समाज में इज्जत तार-तार हो सकती है.