नाश का कारण बनती है इन 3 चीजों की चाहत, बर्बाद हो जाता है आदमी

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इंसान कुछ ऐसी चीजों की चाहत करता है जिसे पूरा करने के लिए खुद का नुकसान कर बैठता है. 

आचार्य चाणक्य के अनुसार, किसी भी इंसान को दूसरे के धन के प्रति लालच की भावना नहीं रखनी चाहिए. 

वहीं आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इंसान को दूसरे के वैभव की लिप्सा भी नहीं करनी चाहिए. ऐसा करना उसे ही नुकसान देगा.

चाणक्य के अनुसार, मनुष्य को कभी भी दूसरों के धन के प्रति लोभ की भावना नहीं रखनी चाहिए. 

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो इंसान दूसरों के धन के प्रति लालच की भावना रखता है तो वह उसी के लिए नुकसानदायक होता है. 

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इंसान अपने दम पर जो भी संपत्ति अर्जित की है, उसी पर उसे संतोष करना चाहिए. 

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दूसरे के धन, संपत्ति और वैभव की लिप्सा नाश का कारण बन सकती है. 

आचार्य चाणक्य के अनुसार, कोई भी मनुष्य धन के लालच में अपना विवेक खो बैठता है. वह उल्टे-सीधे कार्य करने लगता है. 

लालच में आकर आदमी कई बार इतना भी अंधा हो जाता है कि उसे अच्छे और बुरे किसी से कुछ फर्क नहीं पड़ता है.