चाणक्य नीति: जहर के समान है ऐसा भोजन, कम हो जाएगी उम्र

आचार्य चाणक्य ने ऐसे भोजन का वर्णन किया है जो खाने वाले आदमी के लिए किसी विष से कम नहीं है.

जब आदमी ऐसा भोजना करता है जिसे पचाने में कठनाई आती है तो उसका शरीर अपच रोग का शिकार हो जाता है. 

आचार्य चाणक्य के अनुसार, अगर ऐसी स्थिति है तो इंसान को भोजन त्याग देना ही सबसे बढ़िया है.

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अगर आप ऐसा भोजन करते हैं तो यह कई रोगों को दावत देने जैसा हो सकता है. 

इसके बाद अगर आप अपच की स्थिति में भी भोजन करते हैं तो वह भोजन जहर समान हो जाता है. 

इसलिए आदमी को तभी भोजन करना चाहिए जब पहले किया गया भोजन ठीक से तरह से पेट में पच गया हो.

पेट की गड़बड़ी कई गंभीर रोग पैदा कर सकती है. और इसका सीधा असर आपकी उम्र पर भी पड़ सकता है.

चाणक्य कहते हैं कि भोजन के पच जाने पर ही आदमी को भोजन करना चाहिए, ऐसा करने से वह रोगों से बचा रहता है. 

मनुष्य का शरीर बीमारियों का घर है और अगर बीमारियों से बचना चाहते हैं तो व्यक्ति को अपनी क्षमता से ज्यादा भोजन भी नहीं करना चाहिए.