समाज में काफी लोगों को आदत होती है कि वह दूसरों की गुप्त बातें जानना या सुनना चाहते हैं.
ऐसा करने में इन लोगों को मजा आता है लेकिन जाने-अनजाने में यह बड़ी गलती कर जाते हैं.
आचार्य चाणक्य ने इंसान की ऐसी आदत बिल्कुल गलत बताई है जिसे समाज भी नहीं स्वीकार करता है.
अगर किसी इंसान के अंदर दूसरों की गुप्त बातों को जनाने की आदत है तो वह उसे ही नुकसान देती है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दूसरों की गुप्त बातें सुनने की इच्छा मन में पैदा नहीं होनी चाहिए.
वहीं आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दूसरे लोगों की गुप्त बातें सुनने का आग्रह भी कभी किसी से नहीं करना चाहिए.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जैसे पराये धन को प्राप्त करने का लोभ जैसे चोरी या अन्य अपराध करना गलत है.
उसी तरह चाणक्य कहते हैं कि दूसरों की गुप्त बातें सुनने व जानने की इच्छा होना भी एक दोष होता है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि समाजिक नजरिए से भी यह बात अच्छी नहीं मानी जाती है. ऐसा न करना ही बेहतर होता है.