आचार्य चाणक्य के अनुसार, इंसान को कभी किसी दूसरे आदमी के राज अन्य लोगों के सामने नहीं खोलने चाहिए.
दरअसल काफी लोगों में ऐसी आदत होती है कि वह अपने दोस्तों के रहस्य दूसरों के सामने प्रकट कर देते हैं.
सामाजिक अनुसार तो यह गलत है ही, आचार्य चाणक्य ने भी ऐसा करने वाले पर कड़ी बात कही है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो लोग अच्छे संबंध रखकर एक दूसरे के भेदों को प्रकट करते हैं, वह नष्ट हो जाते हैं.
अपने मित्रों के रहस्यों को प्रकट करने वाले उसी तरह नष्ट हो जाते हैं जिस प्रकार बांबी में घुसा सांप दम घुटने से मर जाता है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जो लोग ऐसी बातें करके दूसरों का विश्वास तोड़ते हैं तो वह न कभी घर के रहते हैं ना कभी घाट के.
कई बार अपनी इस आदत की वजह से ऐसे लोगों को समाज में बेइज्जत भी होना पड़ जाता है.
वहीं आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इंसान को भूलकर भी अपने दोस्तों, करीबियों से कभी अपना राज नहीं बताना चाहिए.
जो इंसान ऐसा करता है वह अपनी कमजोरी दूसरे के सौंप देता है, जिसका फायदा कभी भी आसानी से उठाया जा सकता है.