आचार्य चाणक्य के अनुसार, कुछ चीजों में संकोच करने की आदत इंसान को कई अच्छे मौकों से वंचित कर सकती है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, अगर कुछ चीजों में इंसान संकोच करता है तो वह तरक्की से दूर रह जाता है.
धन के लेनदेन, विद्या अथवा किसी कला को सीखने और व्यवहार में जो लज्जाहीन होता है यानी संकोच नहीं करता है वह हमेशा सुखी रहता है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, आदमी को कभी लेन-देन में किसी प्रकार का संकोच नहीं करना चाहिए. पैसों के मामले में संकोच सिर्फ नुकसान ही देता है.
कई बार पैसों के मामले में संकोच करके इंसान अपना ही नुकसान करवा बैठता है. जब तक बात समझ आती है, तब तक देर हो जाती है.
अगर विद्या या कोई अन्य कला सीख रहे हैं तो उसे सीखने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से आप कभी उस कार्य में महारती नहीं बन पाएंगे.
वहीं व्यवहार के समय संकोच करना भी नुकसान देता है. इंसान को अपनी बात हर जगह पर साफ-साफ रखनी चाहिए. संकोच करने से सफलता नहीं मिलती है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, ऐसा करने से आपको नुकसान हो सकता है. जो इंसान चीजों में कभी संकोच नहीं करता है, वह हमेशा सुखी रहता है.
चाणक्य कहते हैं कि ऐसे आदमी को जीवन हमेशा खुशहाल रहता है. ऐसा आदमी ना सिर्फ तरक्की करता है बल्कि कम समय में ही आगे बढ़ जाता है.