आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में कई पशु-पक्षियों के गुणों का वर्णन किया है जिनसे इंसान सीख ले सकता है.
आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में बगुला पक्षी का एक गुण बताया है जो इंसान को सफलता के शिखर पर ले जा सकता है.
चाणक्य के अनुसार, अगर कोई इंसान बगुले के इस गुण को अपना ले तो वह जीवन भर तरक्की करता है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हर इंसान को बगुले की तरह खुद पर संयम रखना सीखना चाहिए.
बगुले का संयम कुछ ऐसा होता है कि वह मछली का शिकार करने के लिए एक टांग पर खड़ा रहता है और उसके अतिरिक्त किसी ओर चीज पर ध्यान नहीं देता है.
अपने इसी संयम के कारण ही बगुला सफलता के साथ मछली का शिकार कर पाता है. उसका संयम ही उसकी ताकत है.
ठीक इसी तरह अगर कोई इंसान हर चीज में संयम रखता हो तो वह जरूर अपने जीवन में तरक्की करता है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अगर कार्यों को संयम के साथ किया जाता है तो उसमें सफलता जरूर हासिल होती है.
जो व्यक्ति अपने लक्ष्य को पाने में संयम नहीं बरतता है वह जल्दबाजी में अक्सर अपना ही नुकसान करवा बैठता है.