आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में ऐसे चार लोगों का वर्णन किया है जो हमेशा खुशहाल रहते हैं.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, इन लोगों को कभी कोई संकट नहीं घेरता है. जेब पैसों से भरी रहती है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जो इंसान स्वर्ग से इस संसार में आता है उसके चार प्रमुख गुण होते हैं.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, धरती पर देवता समान लोगों में दान देने की प्रवृत्ति होती है. वह मदद करने में पीछे नहीं हटते हैं.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ऐसा इंसान मधुरभाषी भी होता है. उनकी मधुरभाषा ही दूसरों का दिल जीत लेती है.
जो आदमी समाज में मधुरभाषी होता है उसे वैसे भी सज्जन कहा जाता है. हर जगह ऐसे आदमी का खूब सम्मान होता है.
वहीं ऐसा आदमी देवताओं की पूजा-अर्चना और उनका आदर-सत्कार करता है और विद्वान ब्राह्मणों को सदैव तृप्त अर्थात संतुष्ट रखता है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जिन भी व्यक्तियों में यह चार गुण होते हैं वह मानों पृथ्वी पर उतरे हुए देवता ही हैं.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, इंसान के इन चार गुणों को धर्मग्रंथों में दैवी संपत्ति भी कहा जाता है.