आचार्य चाणक्य ने कुछ ऐसे घरों का वर्णन किया है जहां माहौल कभी खुशहाल नहीं रहता है.
आचार्य चाणक्य ने ऐसे घरों को श्मशान के समान बताया है और वहां रहने वालों को मुर्दा समान बताया है.
चाणक्य के अनुसार, जिन घरों में ब्राह्मणों के पांव धोने वाले जल से कीचड़ न हुआ हो वह श्मशान समान है.
चाणक्य के अनुसार, जिन घरों में स्वाहा और स्वधा इन शब्दों का उच्चारण न होता हो वह घर श्मशान के समान होते हैं.
जहां वेद आदि शास्त्रों के पाठ न होते हों, कोई शुभ कर्म नहीं होते हैं, वे घर श्मशान समान होते हैं.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इन सभी घरों को मुर्दों का निवास स्थान ही माना जाएगा, जहां जीवनी शक्ति नहीं होती है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जिन घरों में शास्त्रों के मंत्र गूंजते हैं, पूजा-अर्चना की जाती है, वहां हमेशा सकारात्मकता बनी रहती है.
चाणक्य के अनुसार, ऐसे घरों में रहने वाले लोग हमेशा खुशहाल रहते हैं. वह हर कार्य में सफल हो जाते हैं.
माना जाता है कि दान-धर्म की वजह से जिस घर में हमेशा सकारात्मक माहौल रहता हो, वहां रहने वाले हमेशा तरक्की करते हैं.