30 Aug 2024
By- Aajtak.in
आचार्य चाणक्य ने ऐसे माता-पिता का वर्णन नीति शास्त्र में किया है जिनकी एक भूल की वजह से बच्चा समाज में अपमान सहता है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि माता-पिता की इसी भूल की वजह से बच्चा कभी जीवन में खुशहाल नहीं रह पाता है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, माता-पिता को बेशक यह गलती समझ ना आए लेकिन उनके बच्चे जीवन भर कोसते हैं.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जो माता-पिता अपने बच्चों को शिक्षा नहीं देते हैं वह उनके दुश्मन समान ही होते हैं.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, अगर बच्चा पढ़ा लिखा न हो तो वह विद्वानों के समूह में शोभा नहीं पाता है. तिरस्कार हो सकता है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, पढ़े-लिखों के बीच वह ऐसे अपमानित होता है जैसे हंसों के झुंड में बगुले की हालत होती है.
अर्थात जैसे बगुला सफेद हंसों में बैठकर हंस नहीं बनता वैसे ही पढ़े-लिखों के बीच अनपढ़ों को शोभा नहीं मिलती है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, मनुष्य के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है. सिर्फ मनुष्य की योनि में जन्म लेना ही बुद्धिमान होने का प्रमाण नहीं होता है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, शक्ल-सूरत व आकार-प्रकार से सभी मनुष्य एक जैसे हैं, सिर्फ ज्ञान के जरिए ही उनमें फर्क नजर आता है.