आचार्य चाणक्य ने कहा है कि कुछ लोग आपके साथ ऐसे होते हैं जो सिर्फ उसी समय तक पास रहते हैं, जब तक धन आपके पास होता है.
जब इंसान का धन खत्म हो जाता है तो यह लोग भी ज्यादा समय तक उसके पास नहीं टिकते हैं. जल्द ही साथ छोड़ने लगते हैं.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जब आदमी के पास पैसा नहीं होता है तो उसके दोस्त और भाई-बंधु सब साथ छोड़ देते हैं.
चाणक्य के अनुसार, जिस मनुष्य के पास धन खत्म हो जाता है, उसके नौकर-चाकर भी ज्यादा समय तक नहीं टिक पाते हैं.
चाणक्य के कथन का अर्थ है कि जैसे ही धन खत्म हो जाता है तो जो लोग करीबी या भरोसेमंद होते हैं, वह भी साथ छोड़ देते हैं.
चाणक्य कहते हैं कि अगर आदमी के पास फिर से धन-संपत्ति आ जाए तो वह लोग फिर से उसका आश्रय ले लेते हैं.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, इस संसार में धन ही मनुष्य का बंधु है. मुश्किल समय में सिर्फ धन ही उसके काम आता है.
आचार्य ने धन के व्यावहारिक पक्ष को बताते हुए कहा है कि इसी के इर्द-गिर्द सारे संबंधों का ताना-बाना हुआ करता है.
इसलिए ही आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इंसान को आपातकाल स्थिति के लिए हमेशा धन बचत करनी चाहिए.