आचार्य चाणक्य ने कुछ ऐसी चीजों का वर्णन किया है जो इंसान के बुरे कर्मों का फल होती हैं.
इंसान मृत्यु से पहले ही इन फलों को दुनिया में झेलता है. हमेशा परेशान और दुखी रहता है.
गलत कार्य करते समय उसे पता नहीं होती है कि भविष्य में उसके फल कितने दुखदायी हो सकते हैं.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इंसान अपने जीवन में जैसे कर्म करता है, वैसे ही फलों की प्राप्ति उसे होती है
चाणक्य के अनुसार, अगर कोई मनुष्य दरिद्रता का सामना कर रहा है तो यह उसके कर्मों का फल हो सकता है.
चाणक्य के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति हमेशा किसी न किसी रोग से पीड़ित रहता है, वह भी उसके बुरे कर्मों का फल हो सकता है.
वहीं चाणक्य कहते हैं कि बिना कारण भी किसी के जीवन में दुख बने रहते हैं तो यह भी उसके बुरे कर्मों का नतीजा हो सकता है.
चाणक्य कहते हैं कि इसलिए मनुष्य का कर्तव्य है कि वह शुभ कार्य करे जिससे जीवन सुखपूर्वक ही बीते.
आचार्य चाणक्य ने यहां कर्म के सिद्धांत का विवेचन करते हुए शुभ कार्य करने की प्रेरणा दी है क्योंकि यही सुख का साधन है.