चाणक्य की नीतियां आज भी प्रासंगिक हैं.
चाणक्य एक श्लोक के माध्यम से बताते हैं कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जो जीवनभर दुख भोगते हैं.
ऐसे लोगों पर किसी के भी उपदेश का कोई असर नहीं होता है.
चाणक्य कहते हैं जिन व्यक्तियों में किसी प्रकार की भीतरी योग्यता नहीं होती है यानी जो बुद्धिहीन होते हैं, वे हमेशा दुखी रहते हैं.
ऐसे व्यक्तियों को किसी भी प्रकार का उपदेश देना व्यर्थ होता है.
चाणक्य के अनुसार जिसका हृदय साफ नहीं होता, जिसके मन में बुरे विचार भरे होते हैं, वह हमेशा दुख भोगता है.
आचार्य कहते हैं कि बिना आंखों के व्यक्ति को दर्पण का कोई लाभ नहीं हो सकता है.
आचार्य चाणक्य का यह कथन संकेत करता है कि केवल बाहरी साधनों से कोई ज्ञानवान नहीं हो सकता.