07 Mar 2025
By- Aajtak.in
कुछ लोगों में आदत होती है कि अपने पुत्रों की तारीफ समाज के लोगों के सामने जरूर करते हैं.
हालांकि, आचार्य चाणक्य ने कभी भी अपने बेटे की दूसरों के सामने तारीफ न करने की सलाह दी है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अगर बेटा काबिल भी है तो भी दूसरों के सामने उसकी सराहना नहीं करनी चाहिए.
जिस तरह से व्यक्ति के लिए खुद की तारीफ करना अच्छा नहीं कहा जाता है, इसी तरह पुत्र की तारीफ से बचना चाहिए.
चाणक्य कहते हैं कि समय-समय पर पिता अपने पुत्र को उत्साहित करे लेकिन उसके गुणों का उल्लेख समाज में न करे.
अपने पुत्र की प्रशंसा दूसरों के सामने करना आत्ममंथन जैसा ही है, इससे आप लोगों के बीच हंसी का पात्र बन जाएंगे.
इस गलती से समाज में आपके परिवार का मजाक बनाया जा सकता है. इससे मानसिक तौर पर भी गलत असर पड़ता है.
अगर कोई व्यक्ति बार-बार अपने बेटे की तारीफ करता है तो समाज में लोग उसकी बातों पर भरोसा करना छोड़ देते हैं.
गुणवान बेटा होता है उसका नाम खुद ही समाज में रोशन हो जाता है. इसके लिए दूसरों के सामने प्रशंसा की जरूरत नहीं है.