22 Oct 2024
By- Aajtak.in
आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में कहा है कि कभी एक पिता को अपने बेटे की तारीफ दूसरों के सामने नहीं करनी चाहिए.
चाणक्य कहते हैं कि किसी का बेटा अगर खूब गुणवान है तो भी पिता को उसकी तारीफ समाज में करने से बचना चाहिए.
चाणक्य के अनुसार, किसी भी पिता को समय-समय पर अपने बेटे को उत्साहित जरूर करना चाहिए.
हालांकि, उसके गुणों का उल्लेख कभी भूलकर भी समाज में नहीं करना चाहिए. इससे बचाव करने में ही भलाई है.
अगर पिता अपने बेटे की तारीफ दूसरों के सामने करता है तो इससे वह उन सभी के बीच हंसी का पात्र बन सकता है.
यह कुछ ऐसे है जैसे खुद की तारीफ लोगों के बीच करना. पिता की इस गलती वजह से समाज में परिवार का मजाक उड़ाया जा सकता है.
चाणक्य के अनुसार, अगर किसी का पुत्र गुणवान है तो यह जरूरी नहीं है कि लोगों के बीच गुणों के बारे में बताया जाए.
कोई पिता समाज में बार-बार पुत्र की तारीफ करता है तो लोग उसकी बातों पर भरोसा करना छोड़ सकते हैं.
चाणक्य ने कहा है कि अगर घर में गुणवान बेटा रहता है तो उसका नाम समाज में खुद रोशन हो जाता है. सराहना की जरूरत नहीं होती है.