चाणक्य के अनुसार बच्चे के सामने आपका व्यवहार अच्छा होना चाहिए. बच्चा वही करता है जो आपसे सीखता है.
भूलकर भी अपने बच्चों के साथ मारपीट नहीं करनी चाहिए. ऐसा हिंसक व्यवहार उसे और बिगाड़ देता है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हर माता-पिता को बच्चों से बात करने के लिए समय निकालना चाहिए.
जब बच्चों से बात कर रहे हैं तो उनकी सभी बातों को ध्यान से सुनना चाहिए. इससे आप अपने बच्चे को ज्यादा समझ पाएंगे.
कई माता-पिता समय तो देते नहीं लेकिन बच्चों को उसकी भरपाई पैसे के जरिए कर देते हैं. ऐसा कभी नहीं करना चाहिए.
आपके माता-पिता ने आपको पाला है, इसलिए उनके अनुभव से सीखना चाहिए. बच्चों को पालने के लिए हमेशा अपने माता-पिता से भी सलाह लेनी चाहिए.
अगर आपका बच्चा गलती कर रहा है और प्यार से नहीं मान रहा है तो उसके सामने थोड़ा सख्त बनकर भी दिखाना चाहिए.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, अपने बच्चे को हमेशा अनुशासन में रखना चाहिए. सही गलत की परख करानी चाहिए.
अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा लड़ाई-झगड़ों से दूर रहे तो कम उम्र से ही उसे दूसरों के प्रति विनम्रता सिखाएं.
यह भी हमेशा ध्यान रखें कि बिना सोचे अपने बच्चे की सभी मांगे पूरी नहीं करनी चाहिए.