आग में जलने के समान हैं ये 3 दुख, हमेशा कष्ट सहता है आदमी

चाणक्य के अनुसार, इंसान के जीवन में कुछ ऐसे दुख होते हैं, जो बिना आग ही उसका शरीर जलाते रहते हैं. 

आचार्य के अनुसार, जिन  लोगों के सिर पर इस तरह दुखों का पहाड़ होता है, वह हमेशा कष्ट में रहता है.

आचार्य चाणक्य के अनुसार, सज्जन लोग अपनी पत्नी के वियोग को सहन नहीं कर सकते हैं. 

अगर सज्जन लोगों के भाई-बंधु उनका अपमान या निरादर करते हैं, तो वे इसे भी नहीं भुला सकते हैं.

वहीं जो व्यक्ति कर्जे से दबा है, उसे हर समय कर्जा न उतार पाने का दुख रहता है. 

दुष्ट राजा अथवा मालिक की सेवा में रहने वाला नौकर भी हमेशा दुखी ही रहता है. 

चाणक्य के अनुसार, गरीबी ऐसा अभिशाप है, जिसे मनुष्य सोते और उठते-बैठते कभी नहीं भुला पाता है. 

निर्धन व्यक्ति को ना सिर्फ अपने स्वजनों बल्कि समाज में अपमान झेलना पड़ता है. 

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अपमान का कष्ट मृत्यु समान है, जो झेलना मुश्किल हो जाता है.