आचार्य चाणक्य ने कुछ लोगों की संगत को नर्क के समान बताया है.
चाणक्य के अनुसार, इन लोगों की संगत में जो रहता है, वह बर्बाद हो जाता है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, बुरे चरित्र वालों से जितना हो सके, दूरी बनाकर रखनी चाहिए.
जो लोग बिना किसी वजह दूसरे को नुकसान पहुंचाते हैं, उनकी संगत में भी नहीं रहना चाहिए.
वहीं उन लोगों से कभी दोस्ती नहीं करनी चाहिए तो किसी गंदे या संदिग्ध स्थान पर रहता हो.
ऋषि-मुनियों का कहना है कि ऐसे आदमी का संग नर्क में वास करने के समान होता है.
मनुष्य की भलाई इसी में है कि वह जितना जल्दी हो सके, दुष्ट व्यक्ति का साथ छोड़ दे.
चाणक्य के अनुसार, किसी से दोस्ती करते समय उसको अच्छी तरह से जांच-परख लेना चाहिए.
अगर उसमें दोष है तो संबंध आगे नहीं बढ़ाना चाहिए. नहीं तो नुकसान से बच पाना संभव नहीं है.