आचार्य चाणक्य ने ऐसे तीन लोगों का वर्णन किया है, जो मनुष्य होकर भी पशु समान हैं.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति शराब पीता है, वह पशु समान है.
शराब पीकर व्यक्ति होश से इतना बाहर चला जाता है कि किसी भी समय पर कुछ भी कर सकता है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मूर्ख व्यक्ति भी इस धरती पर बोझ के सिवा कुछ नहीं है.
मूर्ख व्यक्ति हमेशा गलत हरकतें करेगा, जिस वजह से उसके साथ रहने वाले पर भी संकट आ सकते हैं.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, अनपढ़ व्यक्ति भी किसी पशु के समान ही होता है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ऐसे लोग सिर्फ संसार पर भार की तरह ही हैं.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ये लोग कभी उपकार नहीं कर पाते हैं. हमेशा दुख का ही कारण बनते हैं.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इन लोगों को पशु के समान कहना पशुओं का भी अपमान है.