आंखों के रहते हुए भी अंधे समान हैं ये लोग, हमेशा करते हैं गलती

आचार्य चाणक्य ने ऐसे लोगों का वर्णन किया है, जो आंखों के रहते हुए अंधे समान ही होते हैं. 

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ऐसे लोग सबकुछ जानकर भी गलतियां करते हैं. 

जो व्यक्ति अपने कर्तव्य को नहीं पहचानता है, वह आंख रहते हुए भी अंधे के समान है. 

चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति विवेक से काम न लेते हुए लक्ष्य के प्रति सचेत नहीं रहता, वह वास्तव में अंधा ही होता है.

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ऐसा अंधा व्यक्ति सही मार्ग को देखते हुए भी मार्ग से भटक जाता है. 

चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को हमेशा कर्तव्य को पहचानकर उसे पूरा करने का प्रयत्न करना चाहिए. 

आचार्य कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने कर्तव्य के प्रति सजग नहीं रहता है, उसे नुकसान झेलना पड़ता है. 

चाणक्य के अनुसार, ऐसा इंसान कभी भी इस संसार में सम्मान का पात्र नहीं होता है. 

वहीं आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इस तरह का इंसान कभी जीवन में सफल मानव नहीं बन पाता है.