आचार्य चाणक्य ने ऐसे मोह का वर्णन किया है, जिसमें पड़कर इंसान कभी सफल नहीं हो पाता है.
चाणक्य कहते हैं कि जो इंसान घर और परिवार के मोह में उलझा रहता है, वह सफलता से दूर रहता है.
चाणक्य के अनुसार, ऐसे आदमी जीवन में अपने हाथ से ही सफलता के अवसर पग-पग खो देता है.
चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति तो घर और परिवार लगाव व अपने कर्म में संतुलन बनाकर रखना चाहिए.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जो लोग परिवार का अधिक मोह रखते हैं वह जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ पाते हैं.
चाणक्य कहते हैं कि खासतौर पर छात्र जीवन में इंसान को कभी घर और परिवार के मोह में नहीं पड़ा होना चाहिए.
अगर छात्र जीवन में घर और परिवार का मोह ज्यादा करेंगे तो कभी भी सफल नहीं हो पाएंगे.
वहीं चाणक्य कहते हैं कि सफलता पाने के लिए इंसान को मेहनती होना चाहिए. हर कार्य के लिए तैयार रहना चाहिए.
जो इंसान आलसी होता है, वह अपने आलस के कारण अच्छे-अच्छे मौकों को भी गवां देता है.