कभी पढ़-लिख नहीं पाते हैं ऐसे लोग, हमेशा रहते हैं तंगहाल

आचार्य चाणक्य ने ऐसे लोगों का वर्णन किया है, जो कभी भी ठीक तरह से विद्या प्राप्त नहीं कर पाते हैं. 

आचार्य चाणक्य ने इस तरह के लोगों का एक अवगुण बताया है, जो उन्हें कुछ नहीं करने देता है. 

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि आलसी व्यक्ति को कभी भी शास्त्र का यथार्थ ज्ञान नहीं हो सकता है. 

चाणक्य के अनुसार, आलसी व्यक्ति कभी भी विद्या प्राप्त नहीं कर सकता है. 

चाणक्य ने शास्त्रों के आधार पर कहा कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए सुख भोग की इच्छा खत्म करनी पड़ती है.

इसके साथ ही ऐसे व्यक्ति के लिए आलस हमेशा के लिए त्याग देना ही बेहतर होता है. 

जो इंसान आलसी स्वभाव का होता है, वह हमेशा परेशान और तंगहाल रहता है. 

वहीं चाणक्य कहते हैं कि ऐसे आलसी लोगों की वजह से उनका परिवार भी हमेशा परेशान रहता है. 

आचार्य चाणक्य ने विद्या को ही इंसान का सबसे बड़ा धन बताया है. संकट के समय में पैसा न हो तो ज्ञान ही काम आता है.