आचार्य चाणक्य ने ऐसे व्यक्ति का वर्णन किया है, जो हमेशा तंगहाल रहता है.
ऐसा इंसान जीवन में कभी कुछ नहीं कर पाता है और ना ही किसी को सुख दे पाता है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि निकम्मे व्यक्ति को अक्सर भूख का कष्ट भोगना पड़ता है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि भूख हमेशा ऐसे इंसान को खाए रखती है, हर समय परेशानी रहती है.
वहीं चाणक्य के अनुसार, ऐसा इंसान अपने आश्रितों को भी भूखा मरने पर विवश कर देता है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, आलसी और निकम्मे व्यक्ति का जीवन हमेशा दरिद्रता में ही गुजरता है.
ये कितनी भी कोशिश कर लें, लेकिन ऐसे लोगों की आदतें ही उन्हें हमेशा गरीब बनाएं रखती हैं.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, मनुष्य का कर्तव्य है कि उसे कभी भी खुद को निकम्मा या आलसी नहीं बनाना चाहिए.
आलस या निकम्मा होकर वह इंसान दूसरों के लिए बोझ समान ही हैं, जिनसे किसी को कुछ लाभ नहीं मिलता है.