5 Aug 2024
AajTak.In
आचार्य चाणक्य को भारत का सबसे विद्वान अर्थशास्त्री बताया जाता है. उन्होंने अपनी रचना चाणक्य नीति में जीवन की समस्या और उनके उन्मूलन के बारे में बताया है.
चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में कहा है कि संसार में एक जगह मृत्युलोक के समान है और इस जगह पर इंसान को एक पल के लिए भी नहीं ठहरना चाहिए.
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आचार्य चाणक्य का एक श्लोक है- 'वरं प्राणपरित्यागो मानभङ्गन जीवनात्। प्राणत्यागे क्षणां दुःख मानभङ्गे दिने दिने॥'
इस श्लोक में चाणक्य ने कहा है कि इंसान को किसी भी परिस्थिति में अपने सम्मान से कभी समझौता नहीं करना चाहिए.
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आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस जगह इंसान का सम्मान नहीं होता है, वो जगह उसके लिए मृत्यु लोक के समान ही होती है.
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इसलिए चाणक्य ने मृत्यु को अपमान से बेहतर बताया है. मौत केवल क्षण भर के लिए दुख देती है, लेकिन अपमान सारी जिंदगी को तिल-तिल मारता है.
यदि आपका किसी जगह अपमान हो रहा है तो वहां एक मिनट भी न रुकें. वो जगह आपके लिए मृत्युलोक के समान है. अपने सम्मान को कभी न गिरने दें.
अपमान का कड़वा घूंट पीने वालों का समाज में ओहदा भी कम होता है. लोग भी उस इंसान को नापसंद करने लगते हैं. खुद उसके अपने साथ छोड़ जाते हैं.