कार्तिक शुक्ल की एकादशी को भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं, जिसके बाद चार माह से रुके हुए सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं.
देव जागरण या उत्थान होने के कारण इसे देवोत्थान एकादशी कहते हैं.
इस दिन उपवास रखने का विशेष महत्व है. कहते हैं कि इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है.
इस साल देवोत्थान एकादशी रविवार, 14 नवंबर 2021 को है.
देवोत्थान एकादशी वाले दिन निर्जल या केवल जलीय पदार्थों पर उपवास रखने से लाभ मिलता है.
इस दिन चावल खाना पूरी तरह वर्जित माना गया है. इसके अलावा मांसाहार या तामसिक गुणों वाली चीजों का सेवन करने से भी बचना चाहिए.
जिन लोगों ने एकादशी का व्रत रखा है, वे लकड़ी के दातून या पेस्ट से दांत साफ न करें. क्योंकि इस दिन किसी पेड़-पौधों के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए.
एकादशी के दिन तुलसी तोड़ने से बचें, क्योंकि तुलसी विष्णु की प्रिय हैं.
भोग लगाने के लिए पहले से तुलसी तोड़ लेनी चाहिए, लेकिन अर्पित की गई तुलसी स्वयं ग्रहण न करें.
व्रत रखने वाले भूल से भी गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग आदि का सेवन नहीं करें.
इस दिन घर में भूलकर भी कलह न करें.