दीपों का त्योहार दिवाली आने वाला है. इस बार दिवाली 12 नवंबर, रविवार को पड़ेगी.
कहते हैं कि दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की उपासना करने से घर में धन दौलत की बरसात होती है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे और नगरवासियों ने इन खुशी में दीप प्रज्जवलित किए थे. कहते हैं कि तभी से दिवाली मनाने की परंपरा शुरू हुई है.
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दिवाली का त्योहार मनाया जाता है.
कार्तिक माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 12 नवंबर, रविवार दोपहर 2:44 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 13 नवंबर, सोमवार दोपहर 2:56 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, दिवाली इस बार 12 नवंबर को ही मनाई जाएगी.
दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन का समय शाम 5:39 मिनट से लेकर रात 7:35 मिनट तक रहेगा.
साथ ही दिवाली पूजन प्रदोष काल में होता है इसलिए इस दिन प्रदोष काल का समय शाम 5:39 मिनट से लेकर शाम 8:08 मिनट तक रहेगा. इस दिन वृषभ काल शाम 5:39 मिनट से लेकर शाम 7:35 मिनट रहेगा.
दिवाली पर इस बार 5 राजयोग बनने जा रहे हैं, जिसमें गजकेसरी, हर्ष, उभयचारी, काहल और दुर्धरा नाम के राजयोग बनेंगे, जो लगभग 500 साल बाद बन रहे हैं.
दिवाली के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन किया जाता है. इस दिन शाम को पूजन के लिए एक चौकी तैयार करें और उसके बाद चौकी पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा रखें. प्रतिमाएं तैयार करने के बाद उनके आगे एक दीपक जलाएं.
दीपक जलाने के बाद मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का संकल्प लें. उसके बाद मूर्तियों के आगे जल भरा एक कलश रखें. फिर मां लक्ष्मी और श्री गणेश के को फल, फूल, मिठाई, कलावा, रोली आदि चीजें अर्पित करें. उसके बाद मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की आरती करें.
दिवाली की रात को मां लक्ष्मी को गुलाब का एक फूल और कुछ सिक्के अर्पित करें. अगले दिन सुबह सारे सिक्कों को किसी निर्धन को दान कर दें.