देवी को प्रसन्न रखने के लिए उनकी पूजा में कई वास्तु नियमों का भी पालन किया जाता है.
नवरात्रि पर मंदिर या पूजा घर के बाहर और अंदर 9 दिनों तक चूने और हल्दी से स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं.
देवी या मंदिर का स्थान किसी बीम के बीच में नहीं होना चाहिए.
नवरात्रि में देवी की प्रतिमा या कलश की स्थापना ईशान कोण में करें क्योंकि ये स्थल देवताओं के लिए निर्धारित है.
अखंड ज्योति पूजन स्थल के आग्नेय कोण में होनी चाहिए.
देवी पूजा के साथ ही शाम के समय पूजन स्थान पर ईष्टदेव की पूजा भी जरूर करें.
नवरात्रि में देवी की प्रतिमा या तस्वीर जहां स्थापित करेंगे उस चौकी या पट का चंदन से लेप करें.
जब आप पूजा करें तो आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रहना चाहिए, क्योंकि पूर्व दिशा शक्ति और शौर्य का प्रतीक है.
नवरात्रि में देवी के नौ स्वरूप यानी 9 देवियों को लाल रंग के वस्त्र, रोली, लाल चंदन, सिंदूर, लाल वस्त्र साड़ी, लाल चुनरी, आभूषण जरूर अर्पित करें.
नवरात्रि पूजा में रोली या कुमकुम से पूजन स्थल के दरवाजे के दोनों ओर स्वस्तिक बनाना चाहिए.