रावण को अपनी सोने की लंका पर बहुत अभिमान था. क्या आप जानते हैं कि रावण ने सोने की यह लंका छल से हथियाई थी.
सोने की लंका वास्तव में एक बेहद सुंदर और स्मरणीय महल था, जिसे शिवजी ने पार्वती के कहने पर विश्वकर्मा से बनवाया था.
जब रावण की नजर सोने के महल पर पड़ी तो इसे पाने के लिए वो बेताब हो गया. उसने तभी लंका हथियाने की साजिश रच डाली.
सोने की लंका पाने के लिए रावण ने एक ब्राह्मण का रूप धारण किया और भगवान शिव के पास पहुंचा.
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उसने शिवजी से भिक्षा में सोने की लंका मांगी. शिवजी रावण के षडयंत्र को पहचान गए थे, फिर भी उन्होंने रावण को निराश नहीं किया.
माता पार्वती को सोने की लंका बहुत प्रिय थी. ये बात जानकर भी महादेव ने अपने परम भक्त रावण को लंका दान कर दी थी.
जब माता पार्वती को यह बात पता चली तो वह बहुत नाराज हुईं और उन्होंने क्रोधित होकर लंका भस्म हो जाने का श्राप दे दिया.
कहते हैं कि इसी श्राप के कारण हनुमान जी ने लंका में आग लगाकर उसे राख कर दिया था.