कल देशभर में दशहरा यानी विजय दशमी का त्योहार मनाया जाएगा. कहते हैं कि इस दिन भगवान राम ने रावण का संहार किया था.
क्या आप जानते हैं कि दशहरे पर शमी के वृक्ष की पूजा का भी विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन शमी के वृक्ष की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है.
विजयादशमी पर शमी के वृक्ष की पूजा से जुड़ी एक कथा भी है. कथानुसार, महर्षि वर्तन्तु के शिष्य कौत्स थे. महर्षि वर्तन्तु ने कौत्स से शिक्षा लेने के बाद गुरु दक्षिणा के रूप में 14 करोड़ स्वर्ण मुद्राएं मांगी थीं.
गुरु दक्षिणा के लिए कौत्स महाराज रघु के पास गए और उनसे स्वर्ण मुद्राएं मांगी. लेकिन राजा का खजाना खाली था तो उन्होंने 3 दिन का समय मांगा.
राजा स्वर्ण मुद्राओं को जुटाने का उपाय सोचने लगे. उन्होंने भगवान कुबेर से भी मदद मांगी. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
तब राजा रघु ने स्वर्ग लोक पर आक्रमण करने के बारे में सोचा. राजा के इस कदम से देवराज इंद्र घबरा गए और कुबेर को स्वर्ण मुद्राएं देने को कहा.
इंद्र के आदेश पर कुबेर ने राजा के यहां मौजूद शमी वृक्ष के पत्तों को स्वर्ण में बदल दिया. कहते हैं कि यह घटना विजयादशमी के दिन हुई थी.
बस तभी से दशहरे पर शमी के वृक्ष की पूजा करने की परंपरा चली आ रही है. इस दिन शमी की पूजा से धनधान्य की प्राप्ति होती है.
दशहरे के दिन गंगा या नर्मदा का जल शमी के वृक्ष को अर्पित करें. दीपक जलाकर उसकी आरती करें और वृक्ष को प्रणाम करें.
पूजा के बाद वृक्ष की कुछ पत्तियां तोड़कर पूजा घर में रख दें. लाल कपड़े में अक्षत, एक सुपारी के साथ इन पत्तियों को बांध लें.
इसके बाद इस पोटली को गुरु या बुजुर्ग से प्राप्त करें और भगवान श्रीराम की परिक्रमा करें. आपके घर कभी धन की कमी नहीं होगी.