गणेश चतुर्थी के दिन घर-घर में विघ्न विनाशक विराजेंगे. गणेश उत्सव को लेकर लोगों में गजब का उत्साह है.
गणेश चतुर्थी पर उनका पूजन करने से मन की हर इच्छा पूरी होती है. रिद्धि-सिद्धि और शुभ-लाभ का वास होता है.
इस महापर्व में यदि शुभ मुहूर्त में गणेश भगवान की मूर्ति की स्थापना की जाए, तो अत्यंत लाभकारी होता है.
पुराणों में गणेश के जन्म से जुड़ी कथा है. ब्रह्मावैवर्त पुराण के अनुसार, मां पार्वती ने संतान पाने के लिए पुण्यक व्रत रखा था.
माना जाता है कि इस व्रत की महिमा से ही मां पार्वती को गणेश जी संतान के रूप में मिले थे.
शिवलोक में उत्सव का आयोजन हुआ. सभी देवी-देवता बालक गणेश को आशीर्वाद दे रहे थे.
उस समय शनि देव सिर को झुकाए खड़े थे. ये देख मां पार्वती हैरान रह गईं और कारण पूछा.
शनिदेव ने मां पार्वती से कहा कि अगर वह गणेश जी को देखेंगे तो हो सकता है कि उनका सिर शरीर से अलग हो जाए.
पार्वती जी के कहने पर शनि देव ने गणेश जी की ओर नजर उठाकर देख लिया, जिसके परिणामस्वरूप उनका सिर उनके शरीर से अलग हो गया.
जब गणेश जी का सिर उनके शरीर से अलग हुआ, तो उस समय भगवान श्रीहरि ने अपना गरुड़ उत्तर की ओर भेजा, जो पुष्य भद्रा नदी की तरफ जा पहुंचा था.
वहां पर एक हथिनी अपने एक नवजात बच्चे के साथ सो रही थी. भगवान श्रीहरि ने गरुड़ की मदद से हथिनी के बच्चे का सिर काट गणेश के शरीर पर लगा दिया.
ब्रह्मावैवर्त पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने एक बार गुस्से में सूर्य देव पर त्रिशूल से वार किया था. इससे सूर्य देव के पिता बेहद क्रोधित हो गए.
उन्होंने श्राप दिया कि एक दिन भगवान शिव के पुत्र यानी गणेश जी का शरीर भी कटेगा. मान्यता है कि इसी श्राप की वजह से भगवान गणेश का सिर कटा.