गणेश चतुर्थी का त्योहार 19 सितंबर से प्रारंभ होने जा रहा है. इस दिन गणपति की प्रतिमा स्थापित करने के बाद अगले 10 दिन उनकी पूजा होगी.
इस पूजा में गणपति को अक्षत, फूल, दूर्वा और मोदक चढ़ाए जाते हैं. क्या आप जानते हैं कि गणेश पूजन में तुलसी चढ़ाना वर्जित होता है.
इसके पीछे एक पौराणिक कथा है. एक बार भगवान गणेश गंगा घाट पर तपस्या कर रहे थे. तभी उन पर देवी तुलसी की नजर पड़ गई.
गणपति को देखते ही तुलसी आकर्षित हो गईं और उन्होंने गणेश जी को विवाह का प्रस्ताव दे दिया. लेकिन गणपति ने प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया.
तुलसी यह अपमान सहन नहीं कर पाईं और उन्होंने क्रोध में आकर गणेश जी को श्राप दिया कि उनके दो विवाह होंगे.
आगे चलकर गणेश का विवाह रिद्धि और सिद्धि से हुआ. पुराणों में रिद्धि-सिद्धि को प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्रियां बताया गया है.
शिव महापुराण के अनुसार, गणेश जी की दो पत्नियां थीं. रिद्धि और सिद्धि और उनके दो पुत्र शुभ और लाभ हैं.
यही वजह है कि गणेश जी की पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं होता है. इसलिए गणेश चतुर्थी पर आप भी गणपति को तुलसी न चढ़ाएं.