02 Sep 2024
By- Aajtak.in
हिंदू धर्म में कुल सोलह संस्कारों का वर्णन किया गया है जिसमें अंतिम संस्कार को आखिरी संस्कार भी कहा जाता है. यह संस्कार मृत्यु के उपरांत किया जाता है.
गरुड़ पुराण में अंतिम संस्कार को लेकर कुछ नियमों का भी वर्णन किया गया है जिन्हें मान लेना काफी जरूरी कहा जाता है.
गरुड़ पुराण में रात के समय अंतिम संस्कार को ठीक नहीं कहा गया है. पुराण में कहा गया है कि सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार हिंदू धर्म शास्त्रों के विरुद्ध माना गया है.
ऐसे में अगर रात के समय किसी व्यक्ति की मृत्यु हो भी जाती है तो उसके शव को रखकर सुबह होने का इंतजार किया जाता है.
जब सूर्योदय हो जाता है उसी के बाद ही दाह संस्कार शुरू किया जाता है. सूर्यास्त के बाद चाहे कितना ही इंतजार करना पड़े लेकिन सुबह होने पर ही कोई भी क्रिया शुरू की जाती है.
गरुड़ पुराण में कहा गया है कि अगर रात में अंतिम संस्कार किया जाता है तो मरने वाले की आत्मा शांत नहीं रहती है.
सूर्यास्त के बाद अगर दाह संस्कार किया जाता है तो ऐसी मान्यता है कि इससे मृत व्यक्ति के लिए स्वर्ग के द्वार बंद हो जाते हैं और नरक के द्वार खुल जाते हैं.
गरुड़ पुराण के अनुसार, अंतिम संस्कार में अगर यह गलती हो गई तो मृतक की आत्मा को नरक का कष्ट भोगना पड़ता है.
इसके साथ ही ऐसा भी कहा जाता है कि अगले जन्म में ऐसा व्यक्ति कोई अंग दोष युक्त भी हो सकता है.