इस साल गोवर्धन पूजा 14 नवंबर, मंगलवार को मनाई जा रही है. गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है जिसका संबंध भगवान कृष्ण से है.
गोवर्धन पूजा कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को होती है जिसमें भगवान कृष्ण के साथ-साथ गाय और बैलों की भी पूजा की जाती है.
गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण को 56 भोग का प्रसाद चढ़ाया जाता है जिसके पीछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है.
भागवत पुराण की कथा के मुताबिक, ब्रज के गोवर्धन पर्वत के रहने वाले चरवाहे बारिश के देवता इंद्र का सम्मान करते थे और पतझड़ के मौसम की पूजा करते थे.
भगवान कृष्ण चाहते थे कि चरवाहे हमेशा इंद्रदेव की पूजा करने के बजाए गोवर्धन पर्वत की पूजा करें क्योंकि गोकुल में बारिश और बाकी प्राकृतिक घटनाओं में गोवर्धन पर्वत का सबसे ज्यादा योगदान था.
भगवान कृष्ण ने चरवाहों से कहा कि वो गोवर्धन पर्वत को भी सम्मान दें. इंद्र ने जब देखा कि चरवाहे कृष्ण की बातों में आ रहे हैं तब वो क्रोधित हो गए.
क्रोध में इंद्रदेव ने गोकुल में आंधी-तूफान के साथ तेज बारिश की शुरुआत कर दी जिसके बाद लोग त्राहिमान करने लगे.
कृष्ण ने इंद्रदेव के प्रकोप से अपने भक्तों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठा लिया जिसके नीचे गोकुल के सभी वासियों ने आश्रय लेकर अपनी जान बचाई.
इंद्रदेव कृष्ण की परीक्षा लेने पर उतारू थे और उन्होंने 7 दिनों तक तेज बारिश और तूफान का सिलसिला जारी रखा. भगवान कृष्ण ने भी हार नहीं मानी और उन्होंने 7 दिनों तक बिना खाए-पिए गोवर्धन पर्वत को उठाए रखा.
आखिरकार इंद्रदेव को हार माननी पड़ी और उन्होंने बारिश, तूफान को रोक लिया. इसके बाद से ही गोवर्धन पूजा मनाया जाने लगा और कृष्ण को 56 भोग का प्रसाद चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई.
56 भोग इसलिए क्योंकि कृष्ण दिन में 8 बार खाना खाते थे. 7 दिन के हिसाब से कृष्ण ने 56 बार का भोजन नहीं किया था इसलिए उनके त्याग को देखते हुए गोवर्धन पूजा के दिन उन्हें 56 भोग चढ़ाया जाता है.