नवरात्रि वर्ष में चार बार मनाई जाती है. चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि के अलावा 2 बार गुप्त नवरात्रि भी आते हैं.
गुप्त नवरात्रि माघ और आषाढ़ मास में आते हैं. इसमें गोपनीय साधनाओं और बाधाओं का नाश करने का वरदान भी मांगा जा सकता है.
माघ के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 22 जनवरी को रात 02 बजकर 22 मिनट से लेकर 22 जनवरी को रात 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगी.
ऐसे में घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 22 जनवरी को सुबह 09 बजकर 59 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 46 मिनट तक रहेगा.
गुप्त नवरात्रि में सामान्य नवरात्रि की तरह नौ दिन के लिए कलश स्थापित किया जाता है. कलश स्थापना के बाद ही पूजा शुरू की जाती है.
दोनों ही समय आरती भी करना अच्छा होगा. मां को दोनों वेला भोग भी लगाएं. इसमें लौंग और बताशा सबसे सरल और उत्तम भोग माने जाते हैं.
मां के लिए लाल फूल सर्वोत्तम होता है. देवी को आक, मदार, दूब और तुलसी बिलकुल न चढ़ाएं. पूरे नौ दिन अपना खान पान और आहार सात्विक रखें.
गुप्त नवरात्रि में मध्य रात्रि को मां लक्ष्मी की उपासना करें. उनके सामने घी का दीपक जलाकर श्री सूक्तम का पाठ करें. पूरी नवरात्रि में सात्विक रहें.