जब मक्का की तरफ पैर करके सो गए थे गुरु नानक 

By: Meenakshi Tyagi 18th November 2021

गुरु नानक जयंती 19 नवंबर दिन शुक्रवार को है. इस दिन गुरुद्वारों में भजन-कीर्तन और लंगर का आयोजन किया जाता है.

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, गुरु नानक देव ने अपने शिष्य मरदाना के साथ करीब 28 वर्षों में दो उपमहाद्वीपों में पांच प्रमुख पैदल यात्राएं की थीं, जिन्हें उदासी कहा जाता है. 

गुरु नानक की मक्का यात्रा का विवरण कई ग्रंथों में मिलता है. जैन-उ-लबदीन की लिखी 'तारीख अरब ख्वाजा' में भी गुरु नानक की मक्का यात्रा का जिक्र किया है. 

गुरु नानक जी के दो शिष्य थे. उनका एक शिष्य हिंदू था जिसका नाम बाला था और दूसरा मरदाना था जो मुस्लिम था.

मरदाना ने गुरु नानक से कहा कि उसे मक्का जाना है क्योंकि जब तक एक मुसलमान मक्का नहीं जाता तब तक वह सच्चा मुसलमान नहीं कहलाता है. 

गुरु नानक ने यह बात सुनी तो वह उसे साथ लेकर मक्का के लिए निकल पड़े. गुरु जी जैसे ही मक्का पहुंचे तो वह थक गए थे और वह मक्का की तरफ पैर करके लेट गए.

हाजियों की सेवा करने वाला खातिम जिसका नाम जियोन था वह यह देखकर बहुत गुस्सा हुआ और गुरु जी से बोला, क्या तुमको दिखता नहीं है कि तुम मक्का मदीना की तरफ पैर करके लेटे हो.

तब गुरु नानक ने कहा कि वह बहुत थके हुए हैं और आराम करना चाहते हैं. उन्होंने जियोन से कहा कि जिस तरफ खुदा ना हो उसी तरफ उनके पैर कर दे. 

तब जियोन को गुरु नानक की बात समझ में आ गई कि खुदा केवल एक दिशा में नहीं बल्कि हर दिशा में है.

इसके बाद जियोन को गुरु नानक ने समझाया कि अच्छे कर्म करो और खुदा को याद करो, यही सच्चा सदका है.

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