हिन्दू महाकाव्यों के 7 सबसे शक्तिशाली गुरु, बड़े-बड़े सूरमा थे इनके शिष्य

By Aajtak.in

रामायण से महाभारत तक कई ऐसे शूरवीर योद्धाओं का वर्णन मिलता है, जिन्होंने अपनी युद्ध कला और धनुर्वेद के बल पर विजय पाई थी.

सोचिए, इन योद्धाओं को शिक्षा देने वाले गुरु स्वयं कितने शक्तिशाली होंगे. आइए गुरु पूर्णिमा पर ऐसे ही शक्तिशाली गुरुओं के बारे में जानते हैं.

गुरु द्रोणाचार्य महाभारत में कौरव पक्ष के सेनापति थे. उन्होंने पांडवों, कौरवों और एकलव्य जैसे कई शूरवीरों को अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा दी थी.

द्रोणाचार्य

परशुराम का जन्म त्रेता युग में हुआ था. उन्होंने पिता महर्षि जमदग्नि से ही आरंभिक ज्ञान लिया. और फिर महादेव से भी युद्ध कला सीखी.

परशुराम

महाभारत काल में परशुराम ने गुरु द्रोणाचार्य, सूर्य पुत्र कर्ण और भीष्म पितामह जैसे सूरमाओं को अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा दी थी.

देव गुरु बृहस्पति को देवताओं का गुरु माना जाता है. बृहस्पति ने धर्म शास्त्र, नीति शास्त्र, अर्थशास्त्र और वास्तु शास्त्र पर ग्रंथ लिखे थे.

बृहस्पति

महापुराण के अनुसार, शुक्राचार्य दैत्यों के गुरु थे. उन्हें संजीवनी का ज्ञान था. इसका ज्ञान स्वयं देवों के गुरु बृहस्पति को भी नहीं था.

शुक्राचार्य

महर्षि विश्वामित्र ने अरसों तक आध्यात्मिक तपस्या से ब्रह्म ऋषि की उपाधि प्राप्त की थी. महर्षि विश्वामित्र ने ही राम-लक्ष्मण को ज्ञान दिया था.

विश्वामित्र

वेद व्यास को गुरुओं का गुरु कहा जाता है. गुरु पूर्णिमा का त्योहार भी इन्हीं को समर्पित है. महाभारत की रचना भी वेद व्यास जी ने ही की थी.

वेद व्यास

महर्षि वशिष्ठ की प्रेरणा से ही भागीरथ मां गंगा को धरती पर ला पाए थे. अपने योग बल से उन्होंने विश्वामित्र को पराजित किया था.

महर्षि वशिष्ठ