हिरण्यकश्यप के समान होता है ये 5 बुरी आदतों वाला पिता

इस बार होली पर 25 मार्च को रंग-गुलाल खेला जाएगा और 24 मार्च को होलिका दहन होगा. होलिका दहन पर आपने भक्त प्रह्लाद और उनके क्रूर पिता हिरण्यकश्यप की कहानी तो सुनी ही होगी.

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हिरण्यकश्यप चाहता था कि लोग उसे भगवान मानकर पूजने लगें. जबकि खुद उसका ही पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु की आराधना में लीन रहता था.

इसलिए हिरण्यकश्यप ने अपनी ही संतान को मारने की साजिश तक रच डाली थी. नतीजन आज भी लोग एक क्रूर पिता की तुलना हिरण्यकश्यप से करते हैं.

आइए जानते हैं कि व्यवहार में कौन से अवगुण आने पर एक पिता हिरण्यकश्यप के समान क्रूर हो जाता है.

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अभद्र भाषा एक पिता का सबसे बड़ा अवगुण है. भाषा में दोष आने से बच्चों की मानसिकता पर बुरा असर पड़ता है. बच्चों के सामने सोच-समझकर बात करें.

1. अभद्र भाषा

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एक अच्छे पिता के व्यवहार में झूठ, अहंकार, द्वेष, क्रोध या अमपान करने का भाव नहीं होना चाहिए. ऐसे गैर-मर्यादित मूल्यों से बच्चों को हमेशा दूर रखें.

2. बुरे विचार

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एक अच्छा पिता होने के नाते आपको अपने बच्चों के सामने कभी पत्नी के साथ झगड़ा नहीं करना चाहिए. इससे बच्चों की परवरिश पर बुरा असर होता है.

3. पत्नी से झगड़ा

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बच्चे के सामने कभी गलत बात का प्रोत्साहन न करें. ये बुरी आदत उनका पूरा जीवन बर्बाद कर सकती है. बच्चों को हमेशा सही और गलत के बीच फर्क करना सिखाएं.

4. गलत का समर्थन

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