12 Mar 2025
Aajtak.in
13 मार्च को यानी कल फाल्गुन पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाएगा. इसके अगले दिन सुबह चैत्र प्रतिपदा तिथि पर रंग-गुलाल उड़ेंगे.
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ज्योतिष गणना के अनुसार, इस बार होलिका दहन पर भद्रा का साया रहने वाला है. 13 मार्च को सुबह 10.36 बजे से रात 11.28 बजे तक भद्रा रहेगी.
कहते हैं कि भद्रा के अशुभ काल में पूजा-पाठ, हवन, जाप जैसे शुभ कार्य वर्जित होते हैं. इसमें होलिका दहन करने से भी बचना चाहिए.
ऐसे में लोगों को जरूर ये चिंता होगी कि फाल्गुन पूर्णिमा की रात होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है.
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ज्योतिषविदों के अनुसार, 13 मार्च को रात 11.26 बजे तक भद्रा का साया रहेगा. ऐसे में 11.28 बजे के बाद ही होलिका दहन करना उचित रहेगा.
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हिंदू पंचांग के अनुसार, होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 11.27 बजे से लेकर मध्य रात्रि 12.15 बजे तक रहने वाला है. दहन के लिए सिर्फ 47 मिनट का समय मिलेगा.
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होलिका दहन की शाम को पूजा के स्थान पर जाएं. यहां पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें. सबसे पहले होलिका को उपले से बनी माला अर्पित करें.
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फिर रोली, अक्षत, फल, फूल, माला, हल्दी, मूंग, गुड़, गुलाल, रंग, सतनाजा, गेहूं की बालियां, गन्ना और चना आदि चढ़ाएं. कलावा लपेटते हुए 5-7 बार परिक्रमा करें.
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होलिका दहन की अग्नि में जौ या अक्षत अर्पित करें. इसकी अग्नि में नई फसल को चढ़ाते हैं और भूनते हैं. भुने हुए अनाज को लोग घर लाने के बाद प्रसाद के रूप में बांटतें हैं.
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