दुख, रोग-बीमारी में दुआएं बड़ा असर करती हैं. तभी तो बीमारी में लोग डॉक्टर की दवा के साथ-साथ भगवान से प्रार्थना करना बंद नहीं करते हैं.
लेकिन संसार के सारे जीवों को स्वस्थ रखने वाले खुद भगवान भी बीमार होते हैं. इतने बीमार कि उनका इलाज पूरे 15 दिन चलता है. यकीन नहीं होता ना! चलिए जानते हैं.
ओडिशा में 7 जुलाई से जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू हो चुकी है. ज्येष्ठ पूर्णिमा पर 108 घड़ों से देव स्नान के बाद बीमार हो जाते हैं. इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा भी है.
पुरी में भगवान जगन्नाथ के एक परम भक्त थे- माधव दास. वो रोज जगन्नाथ की पूजा करते थे. एक बार माधव दास बीमार हो गए. वो अपने बिस्तर से उठ भी नहीं पा रहे थे.
माधव दास का रोग और कष्टों से घिरा देख भगवान जगन्नाथ स्वयं उनके घर सेवक बनकर आ गए. उन्होंने पूरी निष्ठा के साथ भक्त माधव दास की सेवा की.
जब माधव दास को होश आया तो उन्होंने प्रभु को पहचान लिया और कहा, 'आप त्रिभुवन के स्वामी हैं. आप चाहते तो मेरी सेवा किए बगैर भी मुझे रोगों से मुक्त कर सकते थे.'
तब जगन्नाथ बोले, 'मुझसे भक्त की पीड़ा देखी नहीं जाती. लेकिन जो भाग्य में लिखा है, उसे भोगना ही पड़ता है. तुम्हारे भाग्य में जो 15 दिन का रोग बचा है, उसे मैं स्वंय ले रहा हूं.'
इसलिए स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ 15 दिन के लिए बीमार पड़ जाते हैं. वो 15 दिनों तक शयन कक्ष में विश्राम करते हैं. इस दौरान उनका विशेष ध्यान रखा जाता है.
उन्हें सादा भोजन जैसे खिचड़ी, दूध और फलों का जूस ही दिया जाता है. इस दौरान भक्तों को दर्शन करने की अनुमति होती है. मंदिर में केवल पुजारी ही जा सकते हैं.