श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. हर साल जन्माष्टमी का त्यौहार दो दिन मनाया जाता है.
इस बार कृष्ण जन्मोत्सव 6 और 7 सिंतबर दोनों ही दिन मनाया जाएगा. माना जाता है कि इस दिन रोहिणी नक्षत्र में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था.
इस दिन भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 03:37 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 7 सितंबर को शाम 04:14 मिनट पर होगा. जन्माष्टमी रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है.
श्रीकृष्ण की पूजा का समय 6 सितंबर को रात 11:57 से 7 सितंबर को रात 12:42 मिनट तक रहेगा. पूजा की अवधि 46 मिनट की रहेगी.
इस बार जन्माष्टमी का पारण रात 12:42 मिनट के बाद कर सकते हैं. यदि आपके यहां जन्माष्टमी का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद होता है तो आप 7 सितंबर को सुबह 06:02 बजे से पारण कर सकते हैं.
साथ ही इस बार की जन्माष्टमी बेहद खास मानी जा रही है क्योंकि 30 साल बाद इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा वृषभ राशि में होंगे, खास संयोग बनने जा रहा है.
जन्माष्टमी व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. इसके बाद साफ कपड़े पहन कर घर के मंदिर में दीप जलाएं और सभी देवी-देवताओं की पूजा करें.
जन्माष्टमी पर रात्रि पूजन का विशेष महत्व होता है क्योंकि भगवान कृष्ण का जन्म अर्धरात्रि में हुआ था. रात्रि पूजन के लिए श्री कृष्ण के लिए झूला सजाएं.
इसके बाद श्रीकृष्ण को पंचामृत या गंगाजल से अभिषेक करें और फिर उनका श्रृंगार करें. फिर श्रीकृष्ण की पूजा करें.