माघ शुक्ल एकादशी को जया एकादशी कहा जाता है. इस बार जया एकादशी मंगलवार, 20 फरवरी को है. यह व्रत व्यक्ति के संस्कारों को शुद्ध कर देता है.
माघ शुक्ल एकादशी को जया एकादशी कहा जाता है. इस बार जया एकादशी मंगलवार, 20 फरवरी को है. यह व्रत व्यक्ति के संस्कारों को शुद्ध कर देता है.
पद्म पुराण में एक कथा के अनुसार, स्वर्ग लोक के नंदनवन में नर्तकी पुष्यवती नृत्य कर रही थी और उनकी दृष्टि गंधर्व माल्यवान पर पड़ी.
मूल्यवान और पुष्यवती एक दूसरे पर मोहित हो गए और गलत राग में गाने लगे. इससे क्रोधित होकर इंद्र ने दोनों को पिशाच योनि में जाने का श्राप दे दिया.
मूल्यवान और पुष्यवती एक दूसरे पर मोहित हो गए और गलत राग में गाने लगे. इससे क्रोधित होकर इंद्र ने दोनों को पिशाच योनि में जाने का श्राप दे दिया.
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1. जया एकादशी का व्रत निर्जला या फलाहारी या जलीय रखा जाता है. व्रत में भगवान श्रीकृष्ण को फलों और पंचामृत का भोग लगाया जाता है.
2. जया एकादशी के दिन तामसिक आहार, दुर्व्यवहार और दूषित विचारों से दूर रहें. बिना भगवान कृष्ण की उपासना के दिन की शुरुआत न करें.
3. जया एकादशी पर सुबह देर तक न सोएं. दूसरों का अपमान न करें. बाल या नाखून न काटें. काले वस्त्र धारण न करें.
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