हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ का व्रत इस बार 1 नवंबर, बुधवार को रखा जाएगा. यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है.
इस दिन सभी सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखती हैं. साथ ही इस दिन कन्याएं भी अच्छे वर के लिए व्रत रखती हैं.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत के बारे में भगवान कृष्ण ने द्रोपदी को और भगवान शिव ने माता पार्वती को बताया था.
इस बार चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर को रात 9:30 मिनट पर शुरू होगा और इसका समापन 1 नवंबर को रात 9:19 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, करवा चौथ 1 नवंबर, बुधवार को ही रखा जाएगा.
करवा चौथ व्रत के पारण का समय का समय 1 नवंबर को रात 8 बजकर 15 मिनट रहेगा.
करवा चौथ पर इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत काल और मृगशिरा नक्षत्र का शुभ संयोग बनने जा रहा है. जिसमें करवा चौथ का पूजन किया जा सकता है.
चंद्रमा के दर्शन के लिए थाली सजाएं. थाली में दीपक, सिन्दूर, अक्षत, कुमकुम, रोली तथा चावल की बनी मिठाई या सफेद मिठाई रखें. संपूर्ण श्रृंगार करें और करवे में जल भर लें. मां गौरी और गणेश की पूजा करें.
चंद्रमा के निकलने पर छलनी से या जल में चंद्रमा को देखें. अर्घ्य दें, करवा चौथ व्रत की कथा सुनें. उसके बाद अपने पति की लंबी आयु की कामना करें. अपनी सास या किसी वयोवृद्ध महिला को श्रृंगार का सामान दें तथा उनसे आशीर्वाद लें.
वैवाहिक जीवन में मधुरता लाने के लिए करवा चौथ के दिन गौरी पुत्र गजानन को दुर्वा के साथ 21 गुड़ की गोलियां बनाकर अर्पित करें.