दिवाली पर मां लक्ष्मी की आराधना की जाती है और दीयों से घरों को रौशन किया जाता है.
दिवाली के दिन लोग तरह-तरह के उपायों से मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं.
दिवाली के दिन काजल बनाने की परंपरा सालों से चली आ रही है. रातभर दीए की लौ से कालापन इकठ्ठा होता है, उससे काजल बनाया जाता है.
काजल बनाने का ये काम रात को लक्ष्मी-गणेश पूजा के बाद किया जाता है. पूजा में इस्तेमाल बड़े दीपक से घर की महिलाएं काजल बनाती हैं.
इस काजल को घर के सभी सदस्य अपनी आंखों में लगाते हैं साथ ही इसे घर की महत्वपूर्ण जगहें जैसे अलमारी, तिजोरी, खाना बनाने के चूल्हे पर भी लगाया जाता है.
मान्यता है कि ऐसा करने से सभी तरह की बाधाएं दूर हो जाती हैं और घर में समृद्धि आती है.
मान्यताओं है कि दिवाली के दीए से बनाया हुआ काजल लगाने से बुरी नजर नहीं लगती और घर की सारी दिक्कतें दूर होती हैं.
दिवाली पर काजल लगाने का वैज्ञानिक महत्व भी है. दिवाली पर प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा होता है.
प्रदूषण का असर लोगों की आंखों पर बहुत ज्यादा पड़ता है. कई बार प्रदूषण का स्तर ज्यादा होने पर कुछ लोगों की आंखें लाल हो जाती है और आंखों में जलन होती है.
ऐसे में काजल लगाने से प्रदूषण और ठंडी हवाओं से होने वाले नुकसान से आंखें सुरक्षित रहती हैं. इस बात की पुष्टि आयुर्वेद में भी हो चुकी है.