25 Feb 2025
Aajtak.in
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है. इस साल महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा.
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव पूजा-उपासना से मनचाही इच्छा पूरी हो सकती है. इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा है.
शिवलिंग पूजा के दौरान कुछ लोग जाने-अनजाने ऐसी चीजें अर्पित कर देते हैं, जिन्हें चढ़ाना शास्त्रों में वर्जित माना गया है. आइए इनके बारे में जानते हैं.
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भगवान शिव का एक रूप संहार करने वाला भी माना जाता है. उनके संहारक स्वरूप के चलते ही शिवलिंग पर सिंदूर, कुमकुम, या रोली चढ़ाना वर्जित माना गया है.
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शास्त्रों के अनुसार, शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतीक है और हल्दी का संबंध स्त्रियों से होता है. यही कारण है कि भोलेनाथ को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है.
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पूर्वजन्म में तुलसी राक्षस कुल में जन्मी थीं. उनका नाम वृंदा था, जो भगवान विष्णु की परम भक्त थी. वृंदा का विवाह दानव राज जालंधर से हुआ था.
शिवजी ने देवताओं की रक्षा के लिए जालंधर का वध किया था. पति की मृत्यु से आहत वृंदा ने शिवजी को श्राप दिया था. इसलिए उन्हें तुलसी दल नहीं चढ़ाया जाता है.
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शिवपुराण के अनुसार, शंखचूड़ एक महापराक्रमी दैत्य था, जिसका वध स्वयं भगवान शिव ने किया था. इसलिए महाशिवरात्रि पर कभी शंख से शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाया जाता है.
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महादेव या शिवलिंग को भूलकर भी केतकी, कनेर, केवड़ा या लाल रंग के फूल अर्पित नहीं करने चाहिए. इन चीजों से महादेव की अर्चना न करें.