इस साल नाग पंचमी का त्योहार 21 अगस्त यानी कल मनाया जाएगा. इस दिन नागों की विधिवत पूजा को शुभ माना गया है.
वैसे तो सनातन धर्म में नागों को पूजनीय माना गया है. लेकिन वास्तव में विषैला होने के कारण इनसे हमेशा दूर रहने की सलाह दी जाती है.
भारत के महान विद्वान चाणक्य ने भी अपने नीति शास्त्र में दो प्रकार के लोगों को नाग से भी ज्यादा दुष्ट बताया है.
दुर्जनस्य च सर्पस्य वरं सर्पो न दुर्जनः । सर्पो दंशति काले तु दुर्जनस्तु पदे पदे ।।
चाणक्य ने इस श्लोक में सांप को दुर्जन व्यक्ति से बेहतर बताया है. सांप सिर्फ खतरा आने पर डसता है. इसलिए इससे बचना आसान है.
लेकिन दुष्ट व्यक्ति मुंह पर मीठे और पीठ पीछे विषैले होते हैं. ऐसे लोग मौके की तलाश में रहते हैं और अवसर मिलते ही वार कर देते हैं.
तक्षकस्य विषं दन्ते मक्षिकायास्तु मस्तके। वृश्चिकस्य विषं पुच्छे सर्वाङ्गे दुर्जने विषम्।।
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में कहा है कि बिच्छू का जहर सिर्फ उसकी पूंछ में होता है.
लेकिन एक दुष्ट व्यक्ति का पूरा शरीर और मन विषैला होता है. ऐसे लोगों की संगति जीवन को बर्बाद कर देती है. इसलिए इनसे दूर रहें.