नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है. नौ दिनों तक मां के अलग-अलग रूपों में आह्वान के बाद नवमी पर नौ कन्याओं का पूजन होता है.
इस दिन 3 से 9 साल तक आयु की देवी स्वरूप कन्याओं को घर में आमंत्रित करते हैं और उन्हें हलवा, पूरी और चने का भोग लगाते हैं.
ऐसे में कन्या पूजन किस दिशा में करें या प्रसाद बनाते वक्त आपका मुख किस दिशा में होना चाहिए. इसके नियम भी वास्तु में बताए गए हैं.
वास्तु के अनुसार, कन्या पूजन के समय कन्याओं को घर में उत्तर या पूर्व दिशा में बैठाएं और खुद पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें.
इससे पहले उत्तर दिशा में रखे कलश के जल का छिड़काव परिवार के सदस्यों और घर के प्रत्येक स्थान पर करें, ताकि वो पवित्र हो जाएं.
नवमी का प्रसाद बनाते समय आपका मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए. इस दिन घर की उत्तर-पूर्व दिशा में श्रीयंत्र की स्थापना करना उत्तम होता है.
महानवमी पर कन्याओं का अपमान भूलकर भी न करें. द्वार पर पुष्प वर्षा के साथ उनका स्वागत करें. उनके चरण धोएं और आशीर्वाद लें.
कन्या पूजन के बाद कुछ लोग तामसिक चीजों का सेवन शुरू कर देते हैं. नवमी तिथि समाप्त होने तक इन चीजों का सेवन बिल्कुल न करें.